उत्तराखंड

यूकेएसएसएससी पेपर लीक मामले में सेक्टर मजिस्ट्रेट निलंबित

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देहरादून। 24 सितम्बर, 2025

कार्मिक विभाग, उत्तराखण्ड शासन के पत्र संख्या-452/XXX (4) 2025-2(09)25  24 सितम्बर, 2025 के माध्यम से उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा 21.09.2025 को आयोजित स्नातक स्तरीय परीक्षा के सम्बन्ध में सचिव, उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग, देहरादून के पत्र संख्या-357,  24 सितम्बर, 2025 की प्रति संलग्न करते हुये सन्दर्भित पत्र में उल्लिखित ग्राम्य विकास विभाग के कार्मिक के विरूद्ध आवश्यक प्रभावी कार्यवाही किये जाने का अनुरोध किया गया है।

इस सम्बन्ध में सचिव, उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग, देहरादून के उक्त सन्दर्भित पत्र के माध्यम से यह अवगत कराया गया है कि उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के द्वारा 21.09.2025 को स्नातक स्तरीय पदों हेतु राज्य के विभिन्न जनपदो में लिखित प्रतियोगी परीक्षा आयोजित की गयी थी।

उक्त प्रतियोगी परीक्षा के दौरान जनपद हरिद्वार के परीक्षा केन्द्र आदर्श बाल सदन इण्टर कॉलेज, ग्राम्य व पोस्ट बहादरपुर, जट, हरिद्वार, केन्द्र कोड-1302 में एक अभ्यर्थी द्वारा प्रश्नपत्र के 12 प्रश्नों की मोबाइल से फोटो खीचकर परीक्षा केन्द्र से बाहर भेजने का मामला प्रकाश में आया। यद्यपि उक्त परीक्षा केन्द्र में परीक्षा की सुचिता एवं पारदर्शिता बनाये रखने हेतु विभिन्न जनपद स्तरीय अधिकारियों / कार्मिकों की तैनाती की गयी परन्तु उक्त घटना से यह स्पष्ट है कि सम्बन्धित अधिकारियों/कार्मिकों के द्वारा उक्त केन्द्र पर पर्यवेक्षण का कार्य भली-भाँति नहीं किया गया। जिससे प्रथम दृष्टया यह प्रतीत होता है कि उक्त प्रयोजन हेतु तैनात अधिकारी / कार्मिक अपने कार्य दायित्वों के प्रति संवेदनशील नहीं थे, जिससे परीक्षा पर भी प्रश्न चिह्न लगा है व विभिन्न संगठन आन्दोलित है। अतः उक्त सम्बन्धित अधिकारियों / कार्मिकों के विरूद्ध समुचित कार्यवाही किये जाने का अनुरोध किया गया है।

2-चूंकि सम्बन्धित परीक्षा केन्द्र हेतु सेक्टर मजिस्ट्रेट के रूप में के०एन० तिवारी, परियोजना निदेशक, जिला ग्राम्य विकास अभिकरण, हरिद्वार की तैनाती की गयी थी। अतः उक्त परीक्षा केन्द्र पर परीक्षा आयोजन हेतु सेक्टर मजिस्ट्रेट के रूप में पर्यवेक्षण का कार्य लापरवाही बरतते हुये भली-भाँति नहीं किये जाने तथा अपने कार्य दायित्वों के प्रति संवेदनशील नहीं होने के कृत्य हेतु प्रथम दृष्टया दोषी पाये जाने पर एतत्द्वारा सम्यक विचारोपरान्त के०एन० तिवारी, परियोजना निदेशक, जिला ग्राम्य विकास अभिकरण, हरिद्वार को तत्काल प्रभाव से निलम्बित करते हुये अग्रिम आदेशों तक आयुक्त, ग्राम्य विकास कार्यालय, पौड़ी से सम्बद्ध किया जाता है।

3-निलम्बन की अवधि में के०एन० तिवारी को वित्तीय नियम संग्रह खण्ड-2 भाग-2 से 4 के मूल नियम 53 के प्राविधानों के अनुसार जीवन निर्वाह भत्ते की धनराशि अर्द्धवेतन पर देय अवकाश वेतन की राशि के बराबर देय होगी तथा उन्हें जीवन निर्वाह भत्ते की धनराशि पर मंहगाई भत्ता, यदि ऐसे अवकाश वेतन पर देय है, भी अनुमन्य होगा किन्तु ऐसे अधिकारी को जीवन निर्वाह के साथ कोई मंहगाई भत्ता देय नहीं होगा, जिन्हें निलम्बन से पूर्व प्राप्त वेतन के साथ महंगाई भत्ता अथवा महंगाई भत्ते का उपांतिक समायोजन प्राप्त नहीं था। निलम्बन के तिथि को प्राप्त वेतन के आधार पर अन्य प्रतिकर भत्ते भी निलम्बन की अवधि में इस शर्त पर देय होंगे, जब इसका समाधान हो जाय कि उनके द्वारा उस मद में व्यय वास्तव में किया जा रहा है, जिसके लिए उक्त प्रतिकर भत्ते अनुमन्य है।

4-उपर्युक्त प्रस्तर-3 में उल्लिखित मदों का भुगतान तभी किया जायेगा जबकि के०एन० तिवारी इस आशय का प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करें कि वह किसी अन्य सेवायोजन, व्यापार, वृत्ति व्यवसाय में नहीं लगे हैं।

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