उत्तराखंडचमोली

चमोली में मत्स्य पालन: एक नई दिशा की ओर

खबर को सुने

चमोली में मत्स्य पालन: एक नई दिशा की ओर

गोपेश्वर: चमोली जिले में मत्स्य पालन एक महत्वपूर्ण व्यवसाय बनता जा रहा है, जिससे स्थानीय काश्तकारों की आय में वृद्धि हो रही है। यहाँ के अनुकूल वातावरण में ट्राउट मछली का उत्पादन प्रमुखता से किया जा रहा है, जो एक लाभदायक उद्यम साबित हो रहा है।

चमोली जिले में 1135 काश्तकार मत्स्य पालन में जुड़े हुए हैं और अपनी आर्थिकी को मजबूत कर रहे हैं। जिले में बड़ी संख्या में ट्राउट मछली का उत्पादन किया जा रहा है, जिससे लगभग 70 टन प्रतिवर्ष उत्पादन हो रहा है। इसके अलावा, 600 से अधिक कलस्टर आधारित तालाबों में कामन, ग्रास और पंगास मछलियों का उत्पादन किया जा रहा है।

मत्स्य पालन विभाग द्वारा विभिन्न योजनाओं के तहत काश्तकारों को सहायता प्रदान की जा रही है, जिनमें ट्राउट रेसवेज निर्माण, फिश कियोस्क, ट्राउट हैचरी, रेफ्रिजरेटेड वैन, मोटरसाइकिल विद आइस बाक्स, फीड मिल जैसी योजनाएं शामिल हैं।

चमोली जनपद में दो मत्स्य पालन को लेकर काश्तकारों की बढ़ती संख्या को देखते हुए विभाग की ओर से 2 तथा 3 काश्तकारों की ओर से ट्राउट हैचरी से मत्स्य बीज उत्पादन का भी कार्य किया जा रहा है। बीते वर्ष जनपद से करीब 4 लाख मत्स्य बीज का विपणन कर 8 लाख से अधिक की आय अर्जित की गई है।

मत्स्य पालकों को आहार उपलब्ध करवाने के लिए विभागीय सहयोग के साथ एक फीड मिल की भी स्थापना की गई है, जिससे 40 टन मत्स्य आहार का विपणन कर संचालकों की ओर से 10 लाख से अधिक की शुद्ध आय अर्जित की जा चुकी है।

राज्यपाल ने ट्राउट मछली पालन पर जोर दिया और इसे सुपरफूड की श्रेणी में रखा। उन्होंने कहा कि इससे मत्स्य पालन आर्थिक रूप से लाभदायक और सतत उद्यम बन सकता है। राज्यपाल ने मोहन सिंह बिष्ट के प्रयासों को उत्तराखंड के लिए अनुकरणीय पहल बताया और उन्हें भविष्य के लिए शुभकामनाएं दीं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!