त्रिस्तरीय पंचायत सामान्य निर्वाचन-2025 : जिला पंचायत अध्यक्ष पद हेतु अनंतिम आरक्षण

त्रिस्तरीय पंचायत सामान्य निर्वाचन-2025 : जिला पंचायत अध्यक्ष पद हेतु अनंतिम आरक्षण निर्धारण
देहरादूनः 1 अगस्त 2025
आदेश
प्रदेश की त्रिस्तरीय पंचायतों (जनपद हरिद्वार को छोड़कर) के सामान्य निर्वाचन, 2025 हेतु प्रदेश की ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत तथा जिला पंचायत के स्थानों और पदों का आरक्षण और आवंटन संबंधी निर्गत शासनादेश संख्या-822/XII(1)/2025/86(16)/2019. 11.06.2025 के प्रस्तर-4.1 में ‘जिला पंचायत के अध्यक्ष पद पर आरक्षण संबंधी कार्यवाही नियमान्तर्गत शासन स्तर से की जायेगी के निर्देश निर्गत हैं।
2. उल्लेखनीय है कि संदर्भित शासनादेश 11.06.2025 के द्वारा उच्चतम न्यायालय, नई दिल्ली द्वारा रिट पिटिशन (सिविल) संख्या-278/2022 सुरेश महाजन बनाम मध्य प्रदेश राज्य एवं अन्य में पारित आदेश 10.05.2022 के अनुपालन में राज्य के भीतर प्रति स्थानीय निकायों के अंतर्गत अन्य पिछड़ा वर्ग के पिछड़ेपन की प्रकृति और निहितार्थों की समसामयिक कठोर अनुभवजन्य जांच हेतु गठित एकल सदस्यीय समर्पित आयोग की अनुशंसाओं तथा ट्रिपल टेस्ट प्रक्रिया राज्य में प्रथम बार लागू होने के दृष्टिगत त्रिस्तरीय पंचायतों के सामान्य निर्वाचन-2025 (जनपद हरिद्वार को छोड़कर) हेतु जिला पंचायत अध्यक्ष पद हेतु आरक्षण का प्रथम चक्र लागू किये जाने का निर्णय लिया गया है।
3. अतएव त्रिस्तरीय पंचायतों में पदों एवं स्थानों के आरक्षण निर्धारण के संबंध में ‘भारत का संविधान के अनुच्छेद 243 D के अन्तर्गत प्रदत्त व्यवस्था के अधीन, उत्तराखण्ड पंचायतीराज अधिनियम, 2016 सपठित उत्तराखण्ड पंचायतीराज (संशोधन) अध्यादेश, 2025 की धारा 92 (क) तथा उत्तराखण्ड ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत तथा जिला पंचायत (स्थानों और पदों का आरक्षण एवं आवंटन) नियमावली, 2025 में विहित व्यवस्था एवं प्रक्रिया के अनुसार प्रदेश की जिला पंचायतों (जनपद हरिद्वार को छोड़कर) में अध्यक्ष पद हेतु अनंतिम आरक्षण निम्नवत् तालिकानुसार निर्धारित किया जाता हैः-
4. उक्त अनंतिम प्रस्ताव के विरूद्ध किसी भी हितबद्ध व्यक्ति द्वारा लिखित आपत्ति कार्यालय-सचिव, पंचायतीराज विभाग, उत्तराखण्ड शासन (कक्ष संख्या-19, सोबन सिंह जीना भवन, सचिवालय परिसर, 04-सुभाष मार्ग, देहरादून) में प्रस्तुत की जा सकती है। आपत्तियों के निस्तारण हेतु यह आवश्यक नहीं होगा कि आपत्तिकर्ता को मौखिक सुनवाई का अवसर, जब तक आवश्यक न हो, प्रदान किया जाए। आपत्तियों के सम्यक् निस्तारण हेतु निम्नवत् समय-सारणी नियत की जाती है।