उत्तराखंडशिक्षासामाजिक

कर्नल अजय कोठियाल ने पेश की कर्मठता की मिसाल

खबर को सुने

कर्नल अजय कोठियाल ने पेश की कर्मठता की मिसाल

देहरादून : उत्तराखंड राज्य पूर्व सैनिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष कर्नल (रि.) अजय कोठियाल ने एक अनोखी मिसाल पेश की है। उन्हें प्रदेश सरकार द्वारा इस अहम दायित्व के लिए लगभग ₹24 लाख की वित्तीय सुविधाएं दी जानी थीं, लेकिन उन्होंने इन सुविधाओं को लेने से साफ इनकार कर दिया है।

सेवा भावना की अनोखी मिसाल

कर्नल कोठियाल ने 28 वर्षों तक सेना में रहते हुए देश सेवा की है। इसके बाद उन्होंने युवाओं के लिए ‘यूथ फाउंडेशन’ की स्थापना की, जिससे हजारों युवाओं को सेना में भर्ती की दिशा में प्रशिक्षित किया गया। हाल ही में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा उन्हें उत्तराखंड राज्य पूर्व सैनिक सलाहकार परिषद का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था।

सरकारी सुविधाओं का त्याग

कर्नल कोठियाल ने सरकार से मिलने वाली समस्त सुविधाओं—जैसे वाहन, आवास, स्टाफ, मानदेय और यात्रा भत्ते—का त्याग कर दिया है। उन्होंने कहा है कि “मेरे लिए यह दायित्व सेवा का अवसर है, लाभ का नहीं।”

पत्र में स्पष्ट किया उद्देश्य

कर्नल कोठियाल ने इस बाबत एक पत्र सैनिक कल्याण निदेशालय को भेजा है, जिसमें उन्होंने लिखा है: “मेरे पास अच्छी पेंशन है, कीर्ति और शौर्य चक्र की राशि है, विवाह नहीं किया, खर्च सीमित हैं। अतः यह सुविधाएं लेने की आवश्यकता नहीं है। यह धनराशि पूर्व सैनिकों के कल्याण में उपयोग होनी चाहिए।”

क्या-क्या सुविधाएं छोड़ीं?

1. वाहन भत्ता: ₹80,000 प्रति माह
2. आवास/कार्यालय: ₹25,000 प्रति माह
3. टेलीफोन/मोबाइल: ₹2,000 प्रति माह
4. स्टाफ भत्ता: ₹27,000 प्रति माह
5. मानदेय: ₹45,000 प्रति माह
6. यात्रा भत्ता: ₹40,000 प्रति माह

कुल प्रति माह ₹2.19 लाख और फरवरी 2026 तक कुल योग ₹24.09 लाख।

कार्यालय खर्च भी खुद वहन करने का प्रस्ताव

कर्नल कोठियाल ने सैनिक कल्याण निदेशालय में परिषद के अस्थायी कार्यालय की स्थापना के लिए आवश्यक ₹2.45 लाख की राशि भी स्वयं देने की पेशकश की है। उन्होंने कहा है कि बजट की स्वीकृति में देरी न हो, इसलिए वह व्यक्तिगत रूप से यह खर्च वहन करेंगे—चाहे वह राशि बाद में लौटाई जाए या नहीं।

कर्नल कोठियाल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा उत्तराखंड को “पांचवां धाम – सैन्य धाम” की संज्ञा दिए जाने को याद करते हुए कहा कि उनका लक्ष्य पूर्व सैनिकों, वीर नारियों, और उनके आश्रितों के हित में बिना किसी सरकारी भार के काम करना है।

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!