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नाबालिग लड़की से दुष्कर्म करने वाला आरोपी को 20 वर्ष के कठोर कारावास तथा 20 हजार के अर्थदण्ड से दण्डित…

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चमोली :  जिला एवं विशेष सत्र न्यायाधीश श्री धनंजय चतुर्वेदी जी द्वारा नाबालिग पीड़िता को शादी का झांसा देकर अपने साथ भगाकर दुष्कर्म करने वाले आरोपी नरेन्द्र सैनी को दोषसिद्ध पाते हुए अभियुक्त को पोक्सो अधिनियम की धारा 41⁄421⁄2 मंे 20 वर्ष के कठोर कारावास एंव रू0 20 हजार के अर्थदण्ड व अर्थदण्ड अदा न करने पर एक माह के अतिरिक्त साधारण कारावास से दण्डित किया गया व भा0दं0सं0 की धारा 366ए मंे भी 7 वर्ष के कठोर कारावास एंव अर्थदण्ड से दण्डित किया गया है। प्रकरण मंे सरकार की ओर से पैरवी विशेष लोक अभियोजक, पोक्सो मोहन पंत द्वारा की गयी। पीड़िता को प्रतिकर की धनराशि के रूप मंे रू0 तीन लाख की धनराशि अदा करने के आदश्े ा भी जिलाधिकारी को दिये गये हैं।
मामले में सरकार की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता श्री मोहन पंत1⁄4विशेष लोक अभियोजक,पोक्सो1⁄2 द्वारा मामले के सम्बन्ध मंे बताया गया कि “पीड़िता के पिता द्वारा दिनांक 06.08.2020 को चैकी मेहलचैरी1⁄4गैरसैंण1⁄2 मंे जाकर इन अभिकथनांे के साथ तहरीर दर्ज की, कि उनकी पुत्री दिनांक 31.07.2020 को घर से बिना बताये कहीं चली गयी है, जिसकी काफी ढंुढ खोज की गयी किन्तु वह नहीं मिली जिस पर चैकी मेहलचैरी द्वारा मु0अ0सं0 17/2020, धारा 365 भा0दं0सं0 के तहत अज्ञात मंे गुमशुदगी रिपार्ट पंजीकृत कर पीड़िता की ढुढं खोज शुरू की गयी। ततपश्चात् दिनांक 09.08.2020 को पीड़िता को चैखुटिया पुल पर एक अज्ञात व्यक्ति नरेन्द्र सैनी के साथ देखा गया, जिसके पश्चात अभियुक्त को गिरफ्तार कर न्यायिक अभिरक्षा मंे भेजा गया व पीड़िता को उसके घरवालांे के सुपुर्द किया गया। पुलिस द्वारा अभियुक्त नरेन्द्र सैनी के विरूद्ध भा0दं0सं0 की धारा 363, 366ए व 376 व पोक्सो अधिनियम की धारा 4 मंे मामले की विवेचना प्रारम्भ की गयी। दौराने विवेचना प्रकाश मंे आया कि अभियुक्त नरेन्द्र सैनी, पीड़िता को भगाकर मुरादाबाद ले गया था व उसके बाद अभियुक्त द्वारा पीड़िता से शादी कर उससे शारीरिक सम्बन्ध बनाये गये। विवेचना पूर्ण कर दिनांक 27.09.2020 को पुलिस द्वारा माननीय न्यायालय मंे आरोप पत्र प्रेषित किया गया। घटना के समय पीड़िता की उम्र केवल 15 वर्ष थी। मामले मंे अभियोजन द्वारा 07 गवाहों को पीड़िता के साथ हुई घटना के समर्थन मंे माननीय न्यायालय में प्रस्तुत किया गया, जिनके आधार पर माननीय न्यायालय द्वारा अभियोजन के तथ्यों को सही पाते हुए अभियुक्त को दोषसिद्ध पाया।

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