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पंच केदारों में एक भगवान रूद्रनाथ जी के कपाट आज सुबह वेदमंत्रोचारण के साथ खोल दिए गए। कपाट खुलने के अवसर पर सेकड़ों शद्वालुओं ने रूद्रनाथ जी की उत्सव डोली यात्रा में शामिल होकर कपाट खुलने के अवसर पर पूजा अर्चना की ।

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चमोली : पंच केदारों में एक भगवान रूद्रनाथ जी के कपाट आज सुबह वेदमंत्रोचारण के साथ खोल दिए गए। कपाट खुलने के अवसर पर सेकड़ों शद्वालुओं ने रूद्रनाथ जी की उत्सव डोली यात्रा में शामिल होकर कपाट खुलने के अवसर पर पूजा अर्चना की । भगवान रूद्रनाथ देश में एक मात्र तीर्थ है जहां भगवान शिव के मुखारबिंदु के दर्शन होते है। रूद्रनाथ जी  देश में हिन्दुओं को सबसे उंचा तीर्थ भी है। अत्यधिक ठंड के कारण यहां के कपाट देर में खुलते हैं और जल्द ही बंद हेाते हैं पांडुवों को रूद्रनाथ में भगवान शिव ने मुख के दर्शन दिये थे। तभी से यह तीर्थ पंचकेदारों में चतुर्थ केदार के रूप में विख्यात है यहां जाने के लिए गोपेश्वर से 21 किलोमीटर पैदल दुर्गम यात्रा तय करनी पडती है।

चतुर्थ केदार भगवान रुद्रनाथ जी समुद्रतल से 11500 फिट की ऊंचाईं पर स्थित भगवान रुद्रनाथ हिमालय के पंच केदारों में एक हैं । केदारनाथ में भगवान शिव के पृष्ठ भाग के त्रिकोणात्मक ज्योर्तिलिंग के दर्शन होते हैं, मधमेश्वर में मध्य भाग के , तुंगनाथ में भुजा बांह के और ” रुद्रनाथ में भगवान के मुख मंडल ” के दर्शन होते हैं कल्पेश्वर में प्रभू की जटा रूप के दर्शन होते हैं।

हिमालय की गुफा में उतंग हिम शिखरों , दूर तक फैले मखमली हिमालयी बुग्यालों जहां प्रकृति का वह अद्भुत और नौसर्गिक सौंदर्य बिखरा है । जहां देवता भी भगवान की एक झलक पाने को आतुर रहे हैं , जहां के बुग्यालों में खिलने वाले हजारों फूलों और प्रकृति की वन देवियों , ऐड़ी आछरियों ( परियों ) व वन्य प्राणियों मृगों का संसार है । ऐसे दिब्य हिमालय में होते हैं रुद्रनाथ जी के दर्शन ।

 

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