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विष्णुगाड-पीपलकोटी जल विद्युत परियोजना द्वारा अलकनंदा नदी में स्नो ट्राउट संरक्षण हेतु रैंचिंग एवं जागरूकता कार्यक्रम आयोजित

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विष्णुगाड-पीपलकोटी जल विद्युत परियोजना द्वारा अलकनंदा नदी में स्नो ट्राउट संरक्षण हेतु रैंचिंग एवं जागरूकता कार्यक्रम आयोजित

चमोली : विष्णुगाड-पीपलकोटी जल विद्युत परियोजना द्वारा अलकनंदा नदी में स्नो ट्राउट संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में स्थानीय समुदाय, मत्स्य विभाग, और वैज्ञानिक संस्थानों ने भाग लिया। कार्यक्रम का उद्देश्य अलकनंदा नदी में स्नो ट्राउट की आबादी को बढ़ाना था, जो नदी की पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है। इस कार्यक्रम में 200 से अधिक उच्च गुणवत्ता वाली, रोग मुक्त स्नो ट्राउट ब्रूडर मछलियां और 5,000 मछली शावकों को अलकनंदा नदी में छोड़ा गया।

फोटो : विष्णुगाड-पीपलकोटी जल विद्युत परियोजना के कर्मचारियों द्वारा पाँच हजार मछली शावकों को अलकनंदा नदी में छोड़ा गया ।

कार्यक्रम में विष्णुगाड-पीपलकोटी जल विद्युत परियोजना के महाप्रबंधक (सामाजिक, पर्यावरण एवं यांत्रिक) श्री जितेंद्र सिंह बिष्ट ने स्वदेशी मछली संरक्षण की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि स्नो ट्राउट का संरक्षण न केवल अलकनंदा नदी की पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखने के लिए आवश्यक है, बल्कि उन स्थानीय समुदायों की आजीविका की सुरक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण है, जो मत्स्य पालन पर निर्भर हैं।

आईसीएआर-सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ कोल्डवॉटर फिशरीज रिसर्च (आईसीएआर-सीआईसीएफआर), भीमताल के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. सुरेश चंद्र ने हिमालयी नदी तंत्रों के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, इन ‘वाटर बैंकों’ की भावी पीढ़ियों के लिए रक्षा की आवश्यकता पर जोर दिया।

मत्स्य विभाग, चमोली के सहायक निदेशक श्री रितेश चंद ने जिले में मत्स्य विकास का एक विस्तृत अवलोकन प्रस्तुत किया और संरक्षण प्रयासों में स्थानीय समुदायों की भूमिका पर बल दिया।

इस कार्यक्रम का उद्देश्य स्थानीय समुदायों को स्नो ट्राउट के संरक्षण के महत्व के बारे में जागरूक करना और उन्हें संरक्षण प्रयासों में शामिल करना था। यह कार्यक्रम क्षेत्र में पारिस्थितिकीय चुनौतियों का समाधान करने और संरक्षण प्रयासों को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ।

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