*रैस्क्यू ऑपरेशन जारी ,केदारनाथ धाम में अभी भी 700 लोग फसे हैं*।
*मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी राहत एवं बचाव अभियान की स्वयं कर रहे हैं मॉनिटरिंग*।
उत्तराखंड/रुद्रप्रयाग : 31 जुलाई की रात केदारघाटी में बादल फटने और भूस्खलन की घटनाओं के बाद केदारनाथ धाम का पैदल रास्ता कई जगहों पर ध्वस्त हो जाने के कारण लगभग 10 हजार तीर्थयात्री धाम और विभिन्न पड़ावों पर फंस गए थे। घटना के वक्त भीमबली, लिनचोली, चीरबासा और गौरीकुंड क्षेत्र में मौजूद लोगों में कईयों ने मंदाकिनी नदी के उफान को देखते हुए जंगलों की तरफ भागकर जान बचाई। पूरी रात जंगल में काटने के बाद वह सुबह सुरक्षित पड़ावों पर लौटे। राज्य सरकार पिछले चार दिनों से एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, पुलिस और आपदा प्रबंधन विभाग की 882 सदस्यीय टीम के माध्यम से फंसे तीर्थयात्रियों को निकालने में जुटी है। इसके लिए केंद्र सरकार ने तीन दिन पहले चिनूक, एमआइ-17 समेत सात हेलीकाप्टर भी उपलब्ध करा दिए थे। प्रभावित क्षेत्र में मौसम प्रतिकूल होने के कारण चिनूक और एमआइ-17का अभी तक पूरा उपयोग नहीं हो पाया। चिनूक की तो एक भी उड़ान नहीं हुई, जबकि एमआइ-17 विगत दिवस चुनिंदा उड़ान ही भर पाया। शनिवार को दोपहर तक धुंध की वजह से छोटे हेलीकाप्टर भी उड़ान नहीं भर पाए, इसके बाद भीमबली और लिनचोली में फंसे लोगों का रेस्क्यू शुरू हो पाया। केदारनाथ धाम से शनिवार को हेली द्वारा किसी का भी रेस्क्यू नहीं किया जा सका। यहां लगभग 700 लोग फंसे हैं। दोपहर बाद चीरबासा स्थित हेलीपैड को भी उड़ान के लिए तैयार कर लिया गया। भूस्खलन के बाद इसमें बड़े पत्थर और मलबा आ गया था।
वही केदारघाटी में आई आपदा के बाद से केदारनाथ धाम और पैदल मार्ग और पड़ावों पर फंसे तीर्थयात्रियों को हेली रेस्क्यू करने में मौसम बाधा बन रही है । यही वजह है कि चार दिन बाद भी सभी यात्रियों को नहीं निकाला जा सका। मौसम अनुकूल न होने के कारण शनिवार को वायुसेना के मालवाहक हेलीकाप्टर चिनूक और एमआइ- 17 उड़ान नहीं भर पाए। छोटे हेलीकाप्टरों से भीमबली, चीरबासा और लिनचोली में फंसे तीर्थयात्रियों में से 1000 को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और मंदिर समिति की टीमों ने 600 लोगों को केदारनाथ धाम के दूरस्त वैकल्पिक मार्गों से सुरिक्षत निकाला, 400 अन्य यात्रियों को हेलीकाप्टरों से निकाला गया। अभी तक 9,099 तीर्थयात्रियों और स्थानीय लोगों को निकाला जा चुका है, लगभग 1000 तीर्थयात्री जगह- जगह अब भी फंसे हुए हैं। रुद्रप्रयाग की पुलिस अधीक्षक डा विशाखा अशोक भदाणे व sdrf के सेनानायक मणिकांत मिश्रा के अनुसार रेस्क्यू किए गए तीर्थयात्रियों में काफी संख्या में वह भी शामिल हैं, जिनका अभी तक अपने परिजनों से संपर्क नहीं हो पा रहा था। वहीं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी राहत एवं बचाव अभियान की स्वयं मांट्रिंग कर रहे हैं ।